फीस एक्ट की पालना के बजाय स्कूलों को संरक्षण दे रहा शिक्षा विभाग
- अभिभावकों के प्रति जवाबदेह राज्य सरकार ने निजी स्कूूलों के आगे घुटने टेके : संयुक्त अभिभावक संघ
जस्ट टुडे
जयपुर। टीसी मामले पर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के यू-टर्न लेने की संयुक्त अभिभावक संघ ने कड़ी निंदा की है। संघ का कहना है कि इससे साबित हो गया है कि राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और कानून पर निजी स्कूल संचालक हावी हैं। संघ ने कहा कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग प्रदेश के अभिभावकों के प्रति जबावदेह हैं। लेकिन, निजी स्कूलों की हठधर्मिता के आगे राज्य सरकार ने भी घुटने टेक दिए हैं। ज्ञात हो कि अभी हाल ही में राज्य सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों में टीसी की बाध्यता खत्म करने का आदेश निकाला था। लेकिन, निजी स्कूलों के दवाब में अब शिक्षा विभाग ने संशोधित आदेश तीन माह में टीसी जमा कराने का जारी कर दिया है।
निजी स्कूलों को शिक्षा के बजाय सिर्फ फीस से है मतलब
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश के निजी स्कूल संचालक फीस के चलते छात्र-छात्राओं के जीवन और भविष्य से खिलवाड़ करने पर उतारू हो गए हैं। उनको ना छात्रों की परवाह है, ना शिक्षा की परवाह है और ना ही अभिभावकों की स्थिति की। उन्हें केवल फीस से मतलब है। टीसी को लेकर जो संशोधित आदेश प्रस्तावित हैं, वह 3 माह में टीसी जमा करवाने का है, क्या राज्य सरकार शिक्षा विभाग यह तय कर पाएंगे कि अगर कोई टीसी जमा नहीं करवा पाएगा तो क्या उसे या उनके बच्चों को पढऩे का कोई अधिकार नहीं है। जिन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पिछले 3 महीनों से रुकी हुई है, अब 3 महीने का समय टीसी के लिए निर्धारित किया जा रहा है, इस दौरान जब बच्चा पढ़ाई ही नहीं करेगा तो वह किस बात की फीस जमा करवाएगा। इस सब सवालों के अलावा अनगिनत सवाल हैं, जो अभिभावकों ने निजी स्कूलों, सरकार और विभाग से पूछे हैं, किंतु अभिभावकों के प्रति जवाबदेह राज्य सरकार और विभाग निजी स्कूलों का संरक्षण कर रहे हैं।
टीसी की समस्या का हल फीस एक्ट
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि टीसी को बेवजह फसाद बनाया हुआ है, अगर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सख्ती के तहत कार्य कर सुप्रीम कोर्ट के 03 मई 2021 के आदेश और फीस एक्ट 2016 की पालना सुनिश्चित करने के आदेश करती है और एक्शन लेती है तो ना टीसी पर कोई फसाद होगा और ना ही फीस पर कोई विवाद होगा। किन्तु राज्य सरकार और शिक्षा विभाग निजी स्कूलों के धनबल के आगे घुटने टेके बैठी है और निजी स्कूलों को अभिभावकों को लूटने की खुली छूट दे रखी है जिसके चलते ना सुप्रीम के आदेश का सम्मान हो रहा है और ना ही कानून का राज स्थापित किया जा रहा है।
पद की जिम्मेदारी निभाएं शिक्षा मंत्री
प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री फीस को लेकर अपना स्टेटमेंट तो दे रहे हैं, निजी स्कूलों की फीस वसूली में उनके एजेंट बनकर एक सत्र की फीस वसूली की बात भी बोल रहे हैं, किंतु क्या शिक्षा मंत्री का प्रदेश के लिए यही कर्तव्य है, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट 2016 पर क्यों कोई बयानबाजी नहीं करते हैं? स्कूलों पर कार्यवाही सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री को निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाकर अपने पद की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।