वार्ड 91, 92 और 93 में जनता का यह है मूड?

निकाय चुनाव 2020 : सांगानेर के मतदाताओं और कार्यकर्ताओं की जस्ट टुडे ने टटोली नब्ज


- शेष 4 वार्डों का सर्वे भी जस्ट टुडे जनता के सामने रखेगा



जस्ट टुडे

जयपुर। हैरिटेज नगर निगम में प्रथम चरण का चुनाव प्रचार थम गया है। वहीं ग्रेटर में प्रत्याशी घर-घर जाकर वोट की अपील कर रहे हैं। जस्ट टुडे ने सांगानेर के 10 वार्डों की जमीनी हकीकत को जाना है और जनता को उससे रूबरू करवा रहा है। जस्ट टुडे वार्ड 91, 92 और 93 का चुनावी विश्लेषण जनता के सामने रख रहा है। ज्ञात हो कि इससे पहले जस्ट टुडे वार्ड 88, 89 और 90 का भी चुनावी सर्वे प्रकाशित कर चुका है। 


भाजपा में भितरघात की आशंका


सांगानेर के वार्ड 91 से भाजपा ने जयकुमार और कांग्रेस ने आशीष परेवा को चुनावी मैदान में उतारा है। दोनों ही युवा चेहरे हैं। दोनों के पास कार्यकर्ताओं की फौज भी है। दोनों ही प्रत्याशियों का कार्यकर्ताओं में रोष भी है। दोनों ही पार्टियों के कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि टिकट का नम्बर उनका था, लेकिन, टिकट काट दिया गया। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। हालांकि, भाजपा कार्यकर्ताओं में यह नाराजगी ज्यादा है। टिकट कटने के बाद कई भाजपा कार्यकर्ता अंदर ही अंदर पार्षद प्रत्याशी को हराने के लिए मेहनत कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी ने कार्यकर्ताओं से अपनी नाराजगी काफी हद तक दूर कर ली है। लेकिन, भाजपा प्रत्याशी से उसके कार्यकर्ताओं में नाराजगी ज्यादा है। ऐसे में भितरघात की ज्यादा आशंका भी भाजपा में है। यदि यह आशंका सही साबित हुई तो फिर भाजपा को यहां से नुकसान उठाना पड़ेगा। भाजपा में भितरघात के चलते कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनावी सफर आसान बन गया है। लेकिन, यह तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा?


कार्यकर्ता मन से रहे साथ तो भाजपा रहेगी आगे


वार्ड 92 से कांग्रेस ने ज्योति सैनी तो भाजपा ने लक्ष्मी शर्मा को दावेदार बनाया है। इसके साथ ही इस वार्ड से तीन निर्दलीय भी हैं। लेकिन, निर्दलीयों में सीमा शर्मा ज्यादा ताकतवर दिख रही हैं। हालांकि, सीमा शर्मा खुद तो नहीं जीत रही हैं। लेकिन, भाजपा प्रत्याशी के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती हैं। इससे पहले यहां पर भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मी शर्मा की स्थिति कमजोर थी। क्योंकि, टिकट वितरण से नाराज भाजपा कार्यकर्ता उनके साथ चुनाव प्रचार में नहीं लगे हुए थे। इसके बाद भाजपा के बड़े नेताओं की मान-मनौव्वल के बाद वे लक्ष्मी शर्मा के साथ खड़े हो गए। इसके बाद से लक्ष्मी शर्मा की वार्ड में स्थिति मजबूत हो गई। वे पहले ज्योति सैनी से पीछे थीं, लेकिन, एकदम से वे कांग्रेस प्रत्याशी के साथ कांटे की टक्कर में आ गई हैं। वैसे यह वार्ड भाजपा बाहुल्य है, ऐसे में यदि भाजपा कार्यकर्ताओं ने मन से लक्ष्मी शर्मा का साथ दिया और भितरघात नहीं किया तो ये यहां जीत सकती हैं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर ज्योति सैनी भी सबसे कम उम्र की पार्षद बन सकती हैं। क्योंकि, यह आशंका भी है कि भाजपा कार्यकर्ता भितरघात कर सकते हैं। हालांकि, यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि कौन पार्षद बनेगा। लेकिन, फिलहाल इस वार्ड में दोनों ही प्रत्याशियों में मुकाबला कांटे का है। 


यहां कांटे की टक्कर


सांगानेर का वार्ड 93 सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि, इस सीट से जयपुर को एक महापौर उम्मीदवार भी मिल सकता है। यहां पर कांग्रेस ने दिव्या सिंह और भाजपा ने प्रेमचंद बंसल को टिकट दिया है। दिव्या सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय सिंह गुर्जर की बेटी हैं। उनके पिता पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के सामने झालरापाटन से चुनाव भी लड़ चुके हैं और सीएम अशोक गहलोत के भी वे काफी नजदीकी हैं। ऐसे में दिव्या के लिए राजनीति कोई नया विषय नहीं है। उनके चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी उनके पिता ने संभाल रखी है। सांगानेर में भी उनका बड़ा रुतबा है। इसके साथ ही सांगानेर के इस वार्ड में मुस्लिम और रैगर समाज का बाहुल्य है। अन्य जातियां भी कम संख्या में इस वार्ड में मौजूद हैं। चूंकि, मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक माना जाता है। हालांकि, कुछ मुस्लिम मतदाता भाजपा का भी समर्थन करते हैं। वहीं दिव्या के पिता के राजनीतिक कद के चलते उन्हें अन्य समाज का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। ऐसे में उनकी स्थिति अभी काफी मजबूत दिख रही है। इसके साथ ही भाजपा प्रत्याशी की यह पहली राजनीतिक पारी है। उन्हें राजनीति का कोई अनुभव नहीं है। हालांकि, बतौर व्यापारी और व्यक्तिगत छवि के मामले में वे बेदाग हैं। ऐसे में वार्ड के व्यापारी और सामान्य वर्ग का उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है। दूसरा इस वार्ड में भाजपा के नाराज कार्यकर्ता भी ज्यादा नहीं है। ऐसे में भाजपा को यहां भितरघात से भी ज्यादा खतरा होता दिख नहीं रहा है। ऐसे में अब रैगर समाज के वोट इस वार्ड में हार-जीत तय करेंगे। अब देखने वाली बात यह है कि रैगर समाज किस पार्टी की ओर रुख करता है। यदि रैगर समाज के वोट बैंक को फिलहाल छोड़ भी दिया जाए तो इस वार्ड में भी दोनों ही प्रत्याशियों में कांटे की टक्कर है। 


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