वार्ड 88, 89 और 90 में इनका पलड़ा भारी
जस्ट टुडे की ग्राउण्ड रिपोर्ट
निकाय चुनाव 2020 : सांगानेर के तीन वार्डों की जस्ट टुडे ने टटोली नब्ज, स्थानीय बनाम बाहरी व्यक्ति का मुद्दा हावी, कार्यकर्ताओं की खिलाफत बदल रही चुनावी समीकरण
- जस्ट टुडे रोजाना सांगानेर के शेष 7 वार्डों का भी चुनावी मिजाज प्रकाशित करेगा
जस्ट टुडे
जयपुर। सांगानेर के 10 वार्डों में चुनावी चौसर पर शह-मात का खेल जारी है। मुख्य मुकाबला भले ही कांग्रेस-भाजपा में हो, लेकिन, नींद सभी की उड़ी हुई है। कोरोना काल में चुनावी हवा अपनी ओर करने में दोनों ही पार्टियां जमकर मेहनत कर रही हैं। दोनों ही पार्टियों के वरिष्ठ नेता कार्यकर्ताओं से मान-मनौव्वल भी कर रहे हैं, जिससे वे चुनाव में पार्टी को विजयश्री दिलवाएं। टिकट वितरण से दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ता नाराज हैं। हालांकि, भाजपा में टिकटार्थी ज्यादा थे, ऐसे में उन्हीं के कार्यकर्ताओं में ज्यादा आक्रोश भी है। फिर भी बड़े नेताओं की ओर से फोन आने पर कुछ जगह कार्यकर्ता पार्टी के साथ जरूर आए हैं। इस बीच जस्ट टुडे लगातार सांगानेर के सभी 10 वार्डों में जनता से चुनावी सर्वे कर रहा है। इस सर्वे में जस्ट टुडे ने दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं से उनकी मन की थाह लेने की कोशिश की है। वहीं जनता की चुनावी नब्ज को भी पकडऩे की पूरी कोशिश की है। इसके अलावा स्थानीय चुनावी स्थिति, प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि और दोनों ही पार्टियों की चुनावी रणनीति का भी इस सर्वे में विश्लेषण किया गया है। जस्ट टुडे सांगानेर के वार्ड 88, 89 और 90 की जमीनी हकीकत जनता के लिए प्रकाशित कर रहा है।
कार्यकर्ताओं की खिलाफत कर सकती है बंटाधार
भाजपा ने दमयंती नोगिया और कांग्रेस ने माया वाल्मिकी को वार्ड 88 से पार्षद प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही प्रत्याशी अपने आप में दिग्गज हैं। दमयंती नोगिया, वार्ड 35 से पूर्व भाजपा पार्षद प्रत्याशी दामोदर नोगिया की पुत्रवधु हैं। वहीं माया वाल्मिकी कांग्रेस के बड़े नेता कमल वाल्मिकी की मां हैं। दोनों प्रत्याशियों की राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत है और दोनों की पकड़ भी क्षेत्र में भरपूर है। लेकिन, वार्ड 88 में भाजपा में भितरघात की आशंका ज्यादा है। यहां पर स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता दमयंती नोगिया को टिकट मिलने से नाराज हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि विधायक लाहोटी ने पैराशूट प्रत्याशी को टिकट दे दिया। जिन लोगों ने वर्षों वार्ड में मेहनत की, उन्हें टिकट नहीं दिया गया। हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता कार्यकर्ताओं को फोन कर नाराजगी दूर कर रहे हैं। लेकिन, स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारी नाराजगी विधायक अशोक लाहोटी से है। ऐसे में विधायक को वार्ड में हमारी ताकत का अहसास भी करा देंगे। वहीं माया वाल्मिकी का भी कुछ कार्यकर्ताओं में विरोध है। लेकिन, यह विरोध, भाजपा से कम है। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि कौन प्रत्याशी जीतेगा और कौन हारेगा। लेकिन, भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं में ज्यादा आक्रोश है और भितरघात की ज्यादा आशंका भी भाजपा में ही है।
बाहर बनाम स्थानीय व्यक्ति का छाया मुद्दा
सांगानेर के वार्ड 89 में ब्राह्मण वोट ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस ने मोतीलाल शर्मा तो भाजपा ने गिर्राज शर्मा को टिकट दिया है। इस वार्ड में भी भाजपा प्रत्याशी का ज्यादा विरोध है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि विधायक लाहोटी ने बाहर के व्यक्ति को पार्षद प्रत्याशी बना दिया और स्थानीय कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं दी। ऐसे में स्थानीय कार्यकर्ताओं में आक्रोश है और वे अंदर ही अंदर भाजपा प्रत्याशी की खिलाफत कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी स्थानीय है, ऐसे में स्थानीय लोग भी उनसे भलीभांति परिचित है। जनता का भी यह कहना है कि पार्षद स्थानीय व्यक्ति ही होना चाहिए। क्योंकि, यदि वार्ड का कोई कार्य पड़ेगा तो दूर रहने वाले पार्षद से मिलने में परेशानी ही होगी। स्थानीय पार्षद होगा तो कभी भी उसके पास जा सकते हैं। इसके अलावा सिन्धी समाज के एक गुट ने भी इस वार्ड से कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। ऐसे में भी कांग्रेस प्रत्याशी की स्थिति फिलहाल मजबूत दिख रही है।
निर्दलीयों से मिला भाजपा को फायदा
सांगानेर के वार्ड 90 में छीपा, ब्राह्मण, सिन्धी और हरिजन वोटर्स का बाहुल्य है। वहीं सामान्य वर्ग के अन्य लोग भी यहां पर कम संख्या में हैं। यहां पर भाजपा ने पवन गोठरवाल और कांग्रेस ने घनश्याम कूलवाल को प्रत्याशी बनाया है। इस वार्ड में पुरुषोत्तम नागर और रासबिहारी ऐंचारा निर्दलीय प्रत्याशी भी हैं। इनका जिक्र करना इसलिए आवश्यक है कि दोनों ही चुनावी परिणाम को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। टिकट वितरण के दौरान भाजपा प्रत्याशी का जमकर विरोध हुआ था। इसी के चलते सिन्धी समाज के एक गुट ने इन चुनावों में भाजपा से किनारा कर लिया है। वहीं भाजपा से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अनिल पारीक ने भी नामांकन दाखिल कर दिया था। इसके साथ ही पुरुषोत्तम नागर और रासबिहारी ऐंचारा दोनों ही कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। लेकिन, टिकट घनश्याम कूलवाल को मिल गई। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की समझाइश के बाद अनिल पारीक ने तो नामांकन वापस ले लिया और भाजपा प्रत्याशी के साथ चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली। लेकिन, कांग्रेस दोनों ही निर्दलीय प्रत्याशियों को मनाने में विफल रही। ऐसे में टिकट वितरण के समय जहां भाजपा कमजोर दिख रही थी, वहीं वर्तमान समय में उसकी स्थिति मजबूत दिख रही है।
क्योंकि, सिन्धी समाज में दो गुट बन गए हैं। एक गुट कांग्रेस को समर्थन कर रहा है तो दूसरा गुट भाजपा का ही बना हुआ है। अनिल पारीक के भाजपा प्रत्याशी संग आने से ब्राह्मण वोट बैंक में भी कांग्रेस सेंधमारी नहीं कर पा रही है। वहीं छीपा समाज में भी तीन गुट बन गए हैं। एक गुट निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन कर रहा है। दूसरा गुट परम्परागत रूप से भाजपा के पक्ष में बना हुआ है। तीसरा गुट कांग्रेस को समर्थन कर रहा है। इस गुट में ज्यादा भाजपा से नाराज कार्यकर्ता हैं। निर्दलीय प्रत्याशी पुरुषोत्तम नागर और रासबिहारी ऐंचारा, कांग्रेस के वोट बैंक में ही सेंधमारी कर रहे हैं। इसका भी भाजपा प्रत्याशी को फायदा मिल रहा है। इस वार्ड में भी स्थानीय बनाम बाहरी व्यक्ति मुद्दा है। लोगों का कहना है कि कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे वार्ड का है, वहीं कांग्रेस ने ऐनवक्त पर उसे यहां से उतारा है। पहले यह प्रत्याशी किसी और वार्ड से टिकट मांग रहा था। वहां पर चुनावी समीकरण नहीं बैठे तो वार्ड 90 से टिकट ले लिया। यानी वार्ड के लोग कांग्रेस प्रत्याशी को 'एक्सीडेंटल प्रत्याशी' मान रहे हैं। वहीं वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी का थोड़े अंतराल में पार्टी बदलना भी लोगों के मन को नहीं भा रहा है। ऐसे में उनका कहना है कि स्थानीय व्यक्ति को ही तवज्जो देंगे। ऐसे में इस वार्ड से भाजपा फिलहाल मजबूत दिख रही है। हालांकि, आगामी समय ही बताएगा कि कौन पार्षद बनेगाï?