कोरोना से बेदम सा हुआ चुनावी रण

निकाय चुनाव 2020 : कोरोना ने फीकी की चुनावी रंगत, घर-घर जाकर प्रचार कर रहे प्रत्याशी, जनता के मूड को समझ पाना इस बार हुआ टेढ़ी खीर


जस्ट टुडे
जयपुर। प्रदेश में निकाय चुनाव भी टी-20 मैचों की तरह ही हो रहे हैं। मतदाता और प्रत्याशी दोनों की ही सोच यह थी कि निकाय चुनाव दिसम्बर तक ही होंगे। लेकिन, पहले हाईकोर्ट के आदेश और फिर सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने से निकाय चुनावों की घोषणा टी-20 अंदाज में ही हुई। इन सभी के बीच कोरोना के चलते इस बार के निकाय चुनावों की रंगत फीकी ही नजर आ रही है। ना कहीं पर चुनावी चकल्लस हो रही है। ना ही चुनावी सभाएं और ना ही कार्यकर्ताओं के लिए खुलेआम लंगर। कोरोना के डर की वजह से मतदाताओं में भी निकाय चुनावों को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। ज्ञात हो कि प्रदेश में 29 अक्टूबर से दो चरणों में छह नगर-निगमों के चुनाव होने हैं। 


जनता से प्रत्याशियों का नहीं जुड़ रहा दिल


निकाय चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। लेकिन, कोरोना के चलते कोई बड़ा आयोजन करने पर पाबंदी है। सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के चलते उम्मीदवारों के साथ गिने-चुने ही लोग प्रचार करते नजर आ रहे हैं। 



इस दौरान मास्क लगा होने, हाथ नहीं मिलाने, दूर से ही अपने बारे में बताकर चुनाव-प्रचार करना पड़ रहा है। ऐसे में जनता के साथ प्रत्याशियों का दिल नहीं जुड़ पा रहा है। कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि कोरोना के चलते चुनाव प्रचार में बड़ी परेशानी आ रही हैं और लोगों को पास जाकर अपने पक्ष में करने के लिए समझाना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। साथ ही इस बार वार्ड बदलने से भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।


चुनावी खर्चे में आई कमी


हालांकि, कोरोना की वजह से प्रत्याशियों के चुनावी खर्चे में भी बहुत कमी आई है। लेकिन, किसी भी प्रत्याशी का चुनावी प्रचार परवान भी नहीं चढ़ा है। ऐसे में प्रत्याशी भी जनता के मूड को नहीं समझ पा रहे हैं। प्रत्याशियों के साथ चलने वाले चुनावी पंडित भी इस बार असमंजस की स्थिति में दिख रहे हैं। इससे पहले चुनावी प्रचार के बाद जनता के मूड का पता चल जाता था। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं है, ऐसे में सभी प्रत्याशी जीत के प्रति आश्वस्त भी नहीं दिख रहे हैं। 


सोशल मीडिया से कर रहे प्रचार  


इस बार चुनाव में प्रत्याशी बड़े-बड़े बैनर लगाने एवं अन्य आयोजन की बजाय घर-घर जाकर सम्पर्क कर मतदाताओं के नाम एवं फोन नम्बर लेकर सोशल मीडिया के जरिए व्हाट्सएप, फेसबुक, वीडियो कॉल आदि के जरिए मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के प्रयास कर रहे हैं। सत्तारुढ़ कांग्रेस एवं भाजपा के नेता भी सोशल मीडिया के जरिए ज्यादा बयानबाजी कर रहे हैं। 


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