अब भगवान के दर तय हो रही टिकटों की 'दर'
निकाय चुनावों की सबसे सटीक कवरेज सिर्फ जस्ट टुडे में
- दोनों ही पार्टियों के दावेदारों में बेचैनी, टिकट के लिए अब भगवान की शरण में दावेदार
- जिन वार्डों में नामों पर नहीं विरोध, उनमें आज घोषित हो सकते हैं दावेदार
जस्ट टुडे
जयपुर। जयपुर में निकाय चुनावों का घमासान शुरू हो गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही निकाय चुनावों के लिए शनिवार शाम से टिकट वितरण शुरू होगा। इससे पहले दोनों ही पार्टियों के टिकट दावेदारों में बेचैनी का आलम है। जब तक टिकट वितरण नहीं होता, तब तक प्रत्याशियों की जान सांसत में है। ऐसे में सभी दावेदार भगवान की शरण में लगे हुए हैं। शनिवार से नवरात्र शुरू होते ही सभी टिकट दावेदार माता रानी और भगवान से टिकट मिलने की प्रार्थना कर रहे हैं। कई दावेदारों ने टिकट मिलने की मन्नत मांगी है। कई दावेदारों ने माता रानी का जागरण कराने, कई ने सवामणी कराने तो कई ने भंडारा कराने की मन्नत मांगी है। कई लोगों ने घर पर ही घट स्थापना कर माता रानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। यानी टिकट दावेदार अपने-अपने हिसाब से भगवान के दर, टिकटों की 'दरÓ तय कर रहे हैं। कोरोना के बाद भी टिकट दावेदार भगवान के दर पर हाजिरी लगा रहे हैं। अब यह तो समय ही बताएगा कि किसको टिकट मिलता है और किसको निराशा मिलती है।
दावेदारों ने साधी चुप्पी
सांगानेर मंडल में 10 वार्ड हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टियों में कई दावेदार हैं। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही पार्टियों ने प्रत्येक वार्ड से 3 नाम आगे भेजे हैं। इनमें भी वरीयता को शामिल किया गया है। अब आगे किसके नाम टिकट की लॉटरी निकलेगी, यह समय पर ही पता चलेगा। हालांकि, दोनों ही पार्टियों में कुछ दावेदार ऐसे हैं, जो स्वयं का टिकट पक्का मानकर चल रहे हैं। लेकिन, फिर भी शेयर बाजार की तरह किसी भी उठापटक से बचने के लिए वे सभी अभी चुप्पी साधे हुए हैं।
यहां आज घोषित हो सकते हैं नाम
सूत्रों ने बताया कि जिन वार्डों में नामों पर कोई विरोध नहीं है, उनकी घोषणा दोनों ही पार्टियां शनिवार शाम तक कर सकती हैं। वहीं जिन पर विरोध का डर है, उनकी घोषणा रविवार देर रात तक या फिर सोमवार सुबह भी हो सकती है। जिससे किसी भी तरह के विरोध से बचा जा सके।
निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं गणित
दोनों ही पार्टियों में कई प्रत्याशी ऐसे भी हैं, यदि उनको टिकट नहीं मिला तो वे अंदरखाने बागी रूप अख्तियार कर भितरद्यात कर सकते हैं। इसके अलावा कई वार्डों से निर्दलीय प्रत्याशी भी हैं। ये निर्दलीय प्रत्याशी भी भाजपा-कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकते हैं। क्योंकि, ज्यादातर निर्दलीय वही चुनाव लड़ता है, जिसको पार्टियां टिकट नहीं देती है। ऐसे में जिस पार्टी से अलग होकर जितने निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, नुकसान उसी पार्टी का होना तय है।