सीवरेज और वाटर सप्लाई की डीपीआर बनाने में करोड़ों का घोटाला
- सूचना के अधिकार के तहत हुआ खुलासा
- दो बार उठाया जा चुका है 50 करोड़ का भुगतान, अब तीसरी बार फिर कम्पनियों को भुगतान देने की तैयारी में अफसर
- आरयूआईडीपी और रुडसिको के जरिए किया गया हर बार भुगतान, मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत
जस्ट टुडे
जयपुर। कोरोना से उपजे संकट के चलते एक तरफ तो राज्य सरकार आर्थिक तंगी बता खर्चों में कटौती कर रही है, वहीं दूसरी तरफ अफसर अपनी 'कमाई' बढ़ाने में दिमाग लगा रहे हैं।
दरअसल, सीवरेज और वाटर सप्लाई की डीपीआर बनाने में अफसरों की ओर से करोड़ों रुपए का भुगतान गैरकानूनी तरीके से किया जा रहा है। करोड़ों का यह भुगतान अफसर अपनी चहेती कम्पनियों एक्सलटेक और क्रिएटिव को करने पर आमादा है। आश्चर्य की बात यह है कि करीब 50 करोड़ रुपए का भुगतान तो किया भी जा चुका है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में अफसरों की इस कारगुजारी का पता चला है।
गहलोत तक पहुंची शिकायत
अब इस भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी की गई है। इसमें राज्य के मुखिया को बताया गया है कि डीपीआर बनाने के नाम पर दो बार करीब 50 करोड़ रुपए का भुगतान लिया भी जा चुका है। अफसर इतने पर भी नहीं माने, अब तीसरी बार स्थानीय नगरपालिकाओं से 34 शहरों की डीपीआर बनाने के नाम पर करोड़ों रुपए का भुगतान उठाने की तैयारी की जा रही है। अफसरों की ओर से डीपीआर बनाने का काम भी चुनिंदा फर्मों के जरिए कराया जा रहा है। डीपीआर बनाने के बहाने ये फर्में सर्वें के काम को अलग-अलग तरीके से करके सरकार की जेब काटने में लगी हुई हैं। डीपीआर का पूरा भुगतान राज्य सरकार की दो संस्थाओं आरयूआईडीपी और रुडसिको के जरिए किया जा रहा है।
इन फर्मों के पास है डीपीआर का काम
सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक 2010 से लेकर 2019 तक अलग-अलग चार फेज में राज्य के विभिन्न नगर निकायों में सीवरेज लाइन डालने, एसटीपी बनाने व वाटर सप्लाई की डीपीआर बनाने के काम हुए हैं। यह काम क्रिएटिव कम्प्यूटर एण्ड क्रिएटिव टेक्नोके्रट, एक्सलटेक कंसल्टेंट, कॉडकान कंसल्टेंट, बीएलजी कंसल्टेंट, स्तूप कंसल्टेंट और एसजी इंजीनियर्स की ओर से किया गया है।
कौनसी फर्म कहां कर रही है काम
एक्सलटेक कंसल्टेंट के पास लाडनूं, डीडवाना, मकराना, कुचामन, डीग, कामां, सूरतगढ़, पीलीबंगा, डूंगरपुर, बालोतरा, नवलगढ़, शाहपुरा, भीलवाड़ा, राजगढ़ (चूरू), बाडी, श्रीडूंगरगढ़ और चौमूं हैं।
दूसरी फर्म क्रिएटिव कम्प्यूटर्स और क्रिएटिव टेक्नोक्रेट है। इस फर्म के पास रतनगढ़, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, खेतड़ी, मंडावा, नोखा, नीमकाथाना, जोबनेर, शाहपुरा, बांदीकुई और निम्बाहेड़ा हैं।
सारे नियम-कायदे रखे जाते हैं ताक पर
सरकार ने एशियन विकास बैंक से लोन लेकर 50 नगरपालिकाओं और नगरपरिषदों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, सीवर लाइन बनाने का काम शुरू कर रखा है। इसके लिए सबसे पहले डीपीआर बनाने के लिए अपने स्तर पर निविदाएं निकालती हैं, जो स्थानीय समाचार पत्रों में गुपचुप प्रकाशित करवा दी जाती हैं। समाचार पत्रों में प्रकाशन का भुगतान भी ये कम्पनियां ही करती हैं। इसके बाद इन शहरों की डीपीआर बना कर नगरपालिकाओं में जमा कर दी जाती हैं और उसका भुगतान ले लिया जाता है, जबकि 10 लाख से अधिक के टेंडर ऑनलाइन पोर्टल पर होने चाहिए। दैनिक राज्यस्तरीय समाचार पत्र में उसका प्रकाशन होना चाहिए। इन मामले में ऐसा नहीं होता है।
10 साल में 100 करोड़ उठाया भुगतान
एक साल बीतने के बाद आरयूआईडीपी में इस डीपीआर को रिवाइज कराने की योजना बनाई जाती है। इस योजना के तहत जिन शहरों की नगरपालिकाओं या नगर परिषद् में शहरी विकास योजनाओं की रिवाइज डीपीआर बनाने को कहा जाता है। उसी डीपीआर को जिसका भुगतान लिया जा चुका है, उसे दुबारा बनाने को कहा जाता है। कम्पनी पहले बनी डीपीआर में ही सुधार कर उसे जमा करा देती है और भुगतान प्राप्त कर लेती है। इस तरह इन कम्पनियों ने दस साल में करीब सौ करोड़ रुपए का भुगतान ले लिया है। अब तीसरी बार फिर 30 शहरों की आधारभूत विकास योजनाओं की डीपीआर बनाने का भुगतान ले रही हैं।