गहलोत खेमे के 11 सदस्य लापता !

- गहलोत सरकार के 6 मंत्री और 5 विधायक नहीं पहुंचे जैसलमेर


- सियासी गलियारों में खबरों का गर्म हुआ बाजार 



जयपुर हवाईअड्डे से जैसलमेर रवाना होते मंत्री और विधायक। 

जस्ट टुडे

जयपुर। राजस्थान में सत्ता के संघर्ष का क्लाइमेक्स अभी बाकी है। लेकिन, इस संघर्ष में दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर रोज हमलावर हो रही हैं। ईद और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों के मद्देनजर अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी को जैसलमेर की फाइव स्टार होटल सूर्यगढ़ में भेज दिया है। इस बीच चौंकाऊ खबर आ रही है। सूत्रों का कहना है कि गहलोत सरकार के 6 मंत्री और 5 विधायक जयपुर से अभी तक जैसलमेर नहीं पहुंचे हैं। हालांकि, वे रास्ते में हैं या फिर सरकार के निर्देश पर कहीं और गए हैं। यह साफ नहीं हो पाया, लेकिन, इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म जरूर हो गया। 


ये नहीं पहुंचे जैसलमेर 



 जयपुर हवाईअड्डे पर विजयी चिह्न दिखाते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नगरीय विकास मंत्री शान्ति धारीवाल।

सूत्रों के मुताबिक इनमें परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, खेल मंत्री चांदना, कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया, चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, विधायक जगदीश जांगिड़, विधायक अमित चाचाण, विधायक परसराम मोरदिया, विधायक बाबूलाल बैरवा और विधायक बलवान पूनिया जैसलमेर नहीं पहुंचे हैं। 


यह भी संभावना 



 जैसलमेर का सूर्यगढ़ होटल, जिसमें विधायकों की बाड़ाबंदी की गई है। 

हालांकि, सियासी जानकारों का कहना है कि ये सभी अशोक गहलोत के विश्वास-पात्र व्यक्ति हैं। ऐसे में या तो ये मुख्यमंत्री के निर्देश पर कोई और कार्य में लगे हुए हैं। हो सकता है कि ये सभी लोग रास्ते में कहीं हों और देर रात तक जैसलमेर पहुंच जाएं। यह भी खबर है कि सरकारी कामकाज देखने के लिए गहलोत के साथ 3-4 मंत्री जयपुर में ही रहेंगे। बताया जा रहा है कि प्लेन में जगह नहीं होने के कारण 2 विधायक अमित चंदन और जगदीश चंद्र फेयरमॉन्ट होटल लौट आए। ये दोनों कल सुबह रवाना होंगे। गहलोत बाद में जयपुर लौट आएंगे। 


विधायकों को किया जा रहा था परेशान 


विधायकों को जैसलमेर ले जाने पर गहलोत ने बताया कि कई दिनों से विधायक जयपुर में थे, उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा था। उन पर और उनके परिवार वालों पर दबाव बनाया जा रहा था। साथ ही एक ही जगह रहकर सभी लोग परेशान भी हो गए थे। नए शहर की आबोहवा उन्हें अच्छा महसूस कराएगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी यह जरूरी था। 


Popular posts from this blog

सांगानेर में उचित मूल्य की दुकानों पर व्यवस्था नहीं उचित

विविधता में एकता... भारत की विशेषता - बेरवाल

सांगानेर से फिर एक बार पुष्पेन्द्र भारद्वाज